दावानल से बृज बचाना

 ŚB 10.17.25

इत्थं स्वजनवैक्लव्यं निरीक्ष्य जगदीश्वर: ।

तमग्निमपिबत्तीव्रमनन्तोऽनन्तशक्तिधृक् ॥ २५ ॥

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